भारतीय रेल 32 किलोमीटर गोड्डा-हंसडीहा रेलखंड की विद्युतीकरण नहीं होने के कारण ही हरी झंडी मिलने के सात माह बाद भी भागलपुर-दुमका रेलमार्ग में इलेक्ट्रिक इंजन से शुरू नहीं हो सका परिचालन। इलेक्ट्रिक इंजन से ट्रेनों के परिचालन शुरू होने से इंजन बदलने की खत्म हो जाएगी समस्या।
जागरण संवाददाता, भागलपुर। भारतीय रेल : 32 किलोमीटर गोड्डा-हंसडीहा रेलमार्ग के विद्युतीकरण का काम पूरा हो गया है। इसके साथ ही भागलपुर-दुमका-गोड्डा हंसडीहा रेलखंड पूरी तरह विद्युतीकरण हो चुका है। जल्द ही गोड्डा-हंसडीहा रेलखंड में विद्युतीकरण का सीआरएस जांच होगी। सीआरएस की हरी मिलने बाद इलेक्ट्रिक इंजन से चलेंगी ट्रेनें। दरअसल, भागलपुर-दुमका के बीच रेल लाइन विद्युतीकरण कार्य पूरा होने पर सात महीने पहले अक्टूबर 2021 को सीआरएस जांच कराई गई थी। सीआरएस...
more... की जांच रिपोर्ट में इस रेलखंड पर इलेक्ट्रिक इंजन से ट्रेनों को चलाने की हरी झंडी भी मिल गई थी, लेकिन गोड्डा-हंसडीहा रेलखंड का विद्युतीकरण नहीं होने की वजह से इलेक्ट्रिक इंजन से ट्रेनों का परिचालन शुरू नहीं किया गया। इस रेलमार्ग में इलेक्ट्रिक इंजन के बजाय अब भी ट्रेनों का परिचालन डीजल इंजन से ही हो रहा है।
डीजल इंजन से चलने वाली ट्रेनों में डीजल की जगह इलेक्ट्रिक इंजन नहीं लग सका है। इससे पहले 16 मार्च को भागलपुर-बांका के बीच सीआरएस जांच हो गई थी। भागलपुर-दुमका रेलखंड में कविगुरु एक्सप्रेस और भागलपुर-मंदारहिल रेलखंड में बांका-राजेंद्रनगर इंटरसिटी ही इलेक्ट्रिक इंजन जोड़कर चलाई जा रही है। जबकि हमसफर एक्सप्रेस और रांची एक्सप्रेस सहित अन्य सभी ट्रेनों का परिचालन डीजल इंजन से ही किया जा रहा है। इलेक्ट्रिक इंजन से चलने से ट्रेनों की स्पीड बढ़ेगी। इंजन बदलने की समस्या खत्म होने के साथ ही समय की बचत होगी।
गोड्डा-हंसडीहा रेलमार्ग का सीआरएस की हरी झंडी मिलने पर भागलपुर-मंदारहिल-जसीडीह-दुमका रेलखंड में ईएमयू ट्रेनों का परिचालन भी शुरू होगी।। जून से इलेक्ट्रिक इंजन से सभी ट्रेनें चलने लगेंगी। इससे ट्रेनों की स्पीड बढ़ेगी। वर्तमान में 40 की स्पीड से ट्रेनों का परिचालन हो रहा है। इलेक्ट्रिक इंजन से चलने पर स्पीड बढ़कर 60 से 70 किलोमीटर प्रतिघंटा हो जाएगी। इससे समय की बचत होगी। यात्रियों को सुविधा होगी। रेलवे के अधिकारियों के अनुसार गोड्डा-हंसडीहा रेलमार्ग का विद्युतीकरण नहीं होने के कारण ही भागलपुर-दुमका, भागलपुर-बांका-देवघर के बीच चलने वाली सभी पैसेंजर ट्रेनें डीजल इंजन जोड़कर ही चलाई जा रही है। यही नहीं गोड्डा-हंसडीहा रेलमार्ग का विद्युतीकरण होने के बाद ही इन रेलखंडों में ईएमयू का परिचालन भी शुरू होगी।
इलेक्ट्रिक इंजन से चलने पर ईंधन की काफी कम हो जाएगी खपत इधर, इलेक्ट्रिक इंजन से परिचालन होने से डीजल की खपत में काफी कमी आ जाएगी। रेलवे के रिपोर्ट के अनुसार डीजल इंजन की क्षमता के हिसाब से टैंक को तीन कैटेगरी 5,000 लीटर, 5,500 लीटर और 6,000 लीटर में बांटा गया है। वहीं ट्रेन के लोड के उपर डीजल इंजन में प्रति किलोमीटर का एवरेज तय होता है, डीजल इंजन का माइलेज कई चीजों पर निर्भर है। 12 कोच वाली पैसेंजर ट्रेन 06 लीटर में एक किलोमीटर का माइलेज देती है, 24 कोच वाली एक्सप्रेस ट्रेन भी 06 लीटर में एक किलोमीटर और 12 डिब्बों वाली एक्सप्रेस ट्रेन का माइलेज 4.50 लीटर में एक किलोमीटर है।
एक्सप्रेस और पैसेंजर में क्या अंतर है जो इतना माइलेज में अंतर का मुख्य कारण यह है कि पैसेंजर ट्रेन सभी स्टेशन पर रुकती है, साथ ही उसमें ब्रेक और एक्सीलेटर का इस्तेमाल भी ज्यादा होता है, ऐसी स्थिति में ट्रेन का माइलेज एक्सप्रेस ट्रेन की तुलना में कम हो जाता है। इसलिए कि एक्सप्रेस ट्रेन का ठहराव बहुत कम होता है और उसमें ब्रेक व एक्सीलेटर का इस्तेमाल भी कम होता है। इसलिए उसका माइलेज ज्यादा होता है। दूसरी ओर मालगाड़ी में माइलेज बहुत ही अलग-अलग होता है। इसमें कई बार वजन ज्यादा होता है तो कई बार गाड़ी खाली चलती है। अगर मालगाड़ी पर वजन बहुत ज्यादा है तो माइलेज कम ही होगा। अगर मालगाड़ी पर वजन कम है तो माइलेज ज्यादा होगा।
Edited By Dilip Kumar Shukla
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