आपकी बात काफी हद तक सही है। परंतु यह भी सत्य है कि समय के साथ आम आदमी भी बदल रहा है। विशेषतः जिओ के आने के बाद आम मोबाइल स्मार्टफोन और आम आदमी स्मार्ट आदमी बन गया है।
पिछले दिनों मैं नागदा जंक्शन पर जयपुर मुम्बई सुपरफास्ट में यात्रा करने हेतु नियत प्लेटफार्म पर प्रतीक्षा कर रहा था। ट्रैन आने का समय पास आ गया था परंतु प्लेटफार्म पर कोच पोजीशन नहीं दर्शायी गयी थी। प्लेटफार्म पर गिनती के लोग थे, जलपान के ठेले, दुकाने भी सब बंद थी। 2 अत्यंत सीधे सादे दिखने वाले व्यक्ति अपने S-4 की स्थिति को लेकर इधर उधर भटक रहे थे। मैंने उन्हें सोशल डिस्टनसिंग का पालन करते हुए निकट बुलाया और समस्या पूछी। फिर...
more... अपने प्रिय IRI का प्रयोग करते हुए कोच पोजीशन, समय सारणी और 1-2 अन्य जानकारियां भी दे दी। उनमे से एक नए तुरंत अपना फ़ोन निकला और पूछा - भाई, ये कौनसा एप्प है, बड़ा उपयोगी जान पड़ता है। मैंने अगले 15 मिनट में उनको IRI पर एक मिनी क्रैश कोर्स दे डाला। वो लोग भी तुरंत एप्प डाउनलोड कर अगले 5 मिनट में एकाउंट बना कर यूजर बन गए।
ये बात और है कि उस दिन मुई ट्रैन उल्टे कोच कम्पोजीशन के साथ आई और उन्हें ऐन मौके पर दूसरी दिशा में सामान ले कर भागने पड़ा क्योंकि सिर्फ 2 मिनट का ठहराव था। वो भागते हुए मुझे अजीब निगाहों से देख रहे थे और शायद इन एप्प इत्यादि को समय की बर्बादी मान कर पुराने तरीको को ही उचित करार दे चुके थे।
ट्रैन में बैठ के 1 घंटे बाद मैंने इस घटना की गहराई में जाने का निश्चय किया। थोड़ी देर बाद मुझे विदित हुआ कि मुझ नासमझ ने SWM के LR पर तो ध्यान ही दिया।
एप्प गलत नहीं होता साहब, वक्त भी गलत नहीं होता। गलत होता है तो आदमी का दिमाग, जो कभी सही वक्त पर सही काम नहीं करता।