रेलवेलाइन बिछाने के लिए अधिग्रहण की गई किसानों की जमीन से पेड़ काटकर ठेकेदार ने बेच दिए। ठेकेदार ने अवैध रूप से पेड़ काटकर मोटा मुनाफा कमा लिया, जबकि किसानों के हाथ कुछ नहीं लगा। एक दो बार किसानों ने पेड़ों को अपनी संपत्ति बताकर विरोध जताया, लेकिन उनकी एक नहीं सुनी। विरोध बढ़ता देखकर ठेकेदार ने अब किसानों को पेड़ों की कीमत वापस देने की बात कही है। वहीं, रेलवे अधिकारियों का कहना है कि जो जमीन अधिग्रहण की गई है उस जमीन पर खड़े पेड़ का मालिक किसान है। जमीन रेलवे की है, मगर पेड़ किसान के हैं। महम से हांसी तक रेलवे लाइन बिछाए जाने बारे कार्य शुरू हो चुका है।
प्रथम चरण में रोहतक के गांव भाली...
more... से महम के भैणी चन्द्रपाल गांव तक 29.3 किलोमीटर टुकड़े का टेंडर कर उस पर कार्य शुरू किया जा रहा है। अभी तक 7किलोमीटर तक मिट्टी डालकर उसे समतल किया जा चुका है। जो जमीन रेलवे ने अधिग्रहण की है उसका मुआवजा किसानों को दे दिया गया है, लेकिन मुआवजे के साथ रेलवे ने साफ किया है कि जमीन में खड़े पेड़ों पर ठेकेदार या रेलवे का अधिकार नहीं है। ये पेड़ किसान के हैं। रेलवे विभाग कर्मचारी रुकावट बन रहे पेड़ को उखाड़कर साथ लगती जगह पर डाल तो सकते हैं, लेकिन बेच नहीं सकते। रेलवे इंजीनियर सुरेश मेहता और केके शर्मा ने बताया कि यदि किसी किसान के पेड़ ठेकेदार और रेलवे कर्मचारियों ने बगैर उसकी इजाजत के बेचे हैं तो यह गलत है। ये पेड़ किसान के हैं। उनके पास कोई शिकायत आई तो वे आरोपी व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे। उधर, ठेकेदार का कहना है कि उसने पेड़ों को बेचने की बजाए साइड में काटकर डाला है।
महम. रेलवेलाइन बिछाने वाली जगह से काटे गए पेड़।
जमीन में 10 पेड़ थे, 9 काटकर बेच दिए
^महमनिवासी किसान रामदास का कहना है कि उसकी जमीन में 10 पेड़ थे। ठेकेदार ने 9 पेड़ बेच दिए। उन्होंने पेड़ किसान के होने की बात कही तो एक पेड़ शीशम का छोड़ दिया। अब दो दिन से ठेकेदार किसी किसान का पेड़ नहीं बेच रहा, लेकिन सैकड़ों पेड़ बेचकर वह मोटा मुनाफा कमा चुका है। वहीं, एक किसान ने आलाधिकारियों से शिकायत करने की बात कही है। साथ ही कहा, ठेकेदार ने उसके काटे पेड़ों की कीमत उसे लौटाने की बात कहकर मामले को रफा-दफा करना चाहा।
ठेकेदार कोई जवाब नहीं दे रहा
^किसानसत्यवान ने बताया कि उनके खेत में जो पेड़ थे वे काटकर ठेकेदार ने बेच दिए हैं। इसका विरोध किया तो रेलवे ने जमीन का मुआवजा दे दिया। जो संपति उक्त जमीन में आएगी उसमें किसान का कोई हिस्सा नहीं। उन्होंने रोहतक डीआरओ कार्यालय में इसकी जानकारी हासिल की तो उन्होंने पेड़ों पर किसान का हक होने की बात कही। अब ठेकेदार कोई जवाब नहीं दे रहा है।