*इन्दौर-गांधीनगर ट्रेन को भावनगर तक बढ़ाने की मांग की।*
*जैन पत्रकार संघ एव जैन समाज ने जनहित में उठाया मुद्दा।*
नागदा (निप्र)- इन्दौर से प्रतिदिन चलकर गांधीनगर को जाने वाली शांति एक्सप्रेस ट्रेन को भावनगर स्टेशन तक बढ़ाये जाने की मांग समाजसेवी एवं जैन पत्रकार संघ के सस्थापक अध्यक्ष राजेश सकलेचा भाईजी ने जनहित एवं जैन धर्मावलम्बियो के हित में उठाई है।...
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सकलेचा ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से रेल्वे के उच्चाधिकारियों से मांग करी है कि उक्त ट्रेन को गांधीनगर से आगे भावनगर तक बढ़ाया जाय ताकि यात्रियों के साथ ही जैन समाज को इस ट्रेन का लाभ मिल सके। शांति एक्सप्रेस ट्रेन इन्दौर से प्रतिदिन रात्रि 11 बजे चलकर गांधीनगर अगले दिन सुबह 9.45 बजे पहुंचती है तथा पुनः गांधीनगर से शाम को 6 बजे निकलकर इन्दौर अगले दिन पहुंचती है ।
*जैन धर्मावलम्बियों के लिये होगी सौगात-एव आय मे होगी बढोतरी -*
सकलेचा ने बताया कि उक्त ट्रेन की मांग को अगर रेलवे अधिकारी संज्ञान में लेकर इस ट्रेन को भावनगर तक बढ़ाते है तो सम्पुर्ण मालवा सहित म० प्र० गुजरात के यात्रियो को उक्त ट्रेन का लाभ होगा साथ ही रेल्वे को भी आय मे बढोतरी होगी एव जैन धर्मावलम्बियों के लिये एक बड़ी सौगात होगी।
*दो महातीर्थों की मिलेगी इस ट्रेन से सोगात -*
सकलेचा ने बताया कि इस ट्रेन को अगर भावनगर तक बढाया जाता है तो जैन समाज को इस ट्रेन की यात्रा से दो बडे महातीर्थ जाने हेतु सीधी सुगम सुविधा इस ट्रेन की यात्रा से हो सकती है जिसमें जैन धर्मावलम्बियों का सबसे बड़ा तीर्थ पालिताना है जहाँ देश प्रदेश से पुरे वर्ष भर हजारो की तादाद में जैन समाज पालीताना तीर्थ दर्शन हेतु जाते है वही दुसरी और शखेश्वर पार्शवनाथ तीर्थ भी इसी रूट पर आता है
उक्त ट्रेन विरमगाव एवं सोनगढ़ होती हुए भावनगर पहुंचेगी जो कि पालिताना एव पाशर्वनाथ तीर्थ के नजदीक है।
*स्टेशन मास्टर श्री मीणा जी को सोपा पत्र -*
उक्त ट्रेन की मांग को लेकर शनिवार 12/15 बजे रेल्वे के उच्च अधिकारियो तक भेजने की मांग को लेकर पत्र श्री एम एल मीणा स्टेशन मास्टर को दिया
*इन्होने भी उठाई है मांग -*
शांति एक्सप्रेस को भावनगर तक बढ़ाये जाने हेतु अभय चोपडा,यश सकलेचा,अनुज नहार नागदा, हेमन्त कोठारी रतलाम, डा० प्रदिप बाफना बडावदा,जितेन्द्र छाजेड़, अतुल चौरडिया,सुमित बुपक्या खाचरौद,शेलेष कोठारी इन्दौर,अशोक मोदी बरोड़,डा० सुनील चोपडा आलोट,कुशार्ग चोधरी थान्दला, सहित जैन समाजजनों ने की है।