Final Part Three
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......अब ट्रेन कानपुर के निकट आ चुकी थी किंतु रफ्तार से कोई समझौता नही हुआ , ट्रेन अपने निर्धारित समय से पहले ही चल रही थी , ट्रेन के पनकी धाम से निकलने पर कुछ रफ्तार काम हुई , और ऐसे करते निर्धारित समय से करीब 4मिनट पहले ही हम कानपुर पहुच चूके थे , यहाँ काफ़ी यात्रियों ने अपनी यात्रा समाप्त की तथा कुछ नए यात्री जुड़े , यह मैं ट्रेन से नीचे तो उतरा किन्तु दरवाजे बंद होने के भय से जल्द ही वापिस चढ़...
more... गया, ट्रेन के अपने निर्धारित प्रस्थान समय से करीब 30सेकंड पहले ही स्वचालित दरवाजे बंद हो गए , और ट्रैन अपने निर्धारित समय से कानपुर निकल चुकी थी , मैंने गेट पर ही रहने का फ़ैसला किया कियुकि जिस दिन मेरी यात्रा थी उसके दो दिन पहले ही पूर्वा एक्सप्रेस का एक्सीडेंट कानपुर के समीप हुआ था जिसको मैं गेट से देखना चाहता था तथा उसकी वीडियो भी बनाना चाहता था , खैर ट्रेन कानपुर प्रस्थान के तुरंत बाद 130 कि रफ्तार पर आ चुकी थी किन्तु करीब 10किलोमीटर बाद ही ट्रैन की रफ्तार करीब 30kmph हो गई थी जो इस बात का संकेत था कि एक्सीडेंट वाली जगह पास ही है ,मैंने अपनी नज़र और कैमरा गेट में मौजूद शीशे की तरफ़ कर ली , और कुछ ही देर में भयावह नज़ारा सामने था जिसमे करीब 10 डब्बे पटरी किनारे बेतरतीबी से पड़े हुए थे , हालाँकि यह राहत देने वाली सूचना थी कि सरकारी आकड़ो के अनुसार इस हादसे में किसी की मौत नही हुई थी , रेलवे ने भी काफी मुस्तैदी से दोनों ट्रैक को 40घंटे के भीतर ही दुरुस्त कर लिया था खैर इसके बाद मैं वापिस अपनी सीट पर आ गया था , यहाँ मैंने इस बात पर गौर किया कि ट्रैन में मौजूद स्टाफ यात्रियों के प्रति तो काफ़ी अच्छा व्यहवार था किंतु अपने काम को ले कर वो काफ़ी लापरवाह थे , इनके द्वारा दी जा रही सर्विस काफी धीमी थी , सुबह की चाय करीब 1 घंटे बाद दी गई तथा उसके बाद बाकी बची ट्रे आदि तभी हटाया गया जब नाश्ते देने की बारी आई , नाश्ता देने में भी टिशू ,चमच वगैरा तो दे दिया गया किन्तु बाकी नाश्ता का पैक देने में करीब 30मिनट लग गए और नाश्ता ख़त्म होने के बाद खाली पैक वगैरा कानपुर से पहले हटाये गए , पर्याप्त स्टाफ़ मौजूद होने के बाद भी इस तरह की धीमी सर्विस की उम्मीद नही थी मुझे , खैर ट्रेन अब इलाहबाद के निकट पहुँच चुकी थी और अपने निर्धारित समय से करीब 5-10मिनेट पहले चल रही थी , ट्रेन अपने निर्धारित समय से 3मिनट पहले नवनिर्मित प्लेटफार्म 9 पर पहुँची , यहाँ दोपहर का खाना ट्रेन में चढ़ाया जाना था, कैटरिंग स्टाफ बेहद हड़बड़ी में डब्बो को अंदर रख रहे थे , यहां काफी यात्रियों ने अपनी यात्रा समाप्त की , यहां ट्रेन में चढ़ने वालो की संख्या नगण थी , ट्रेन यहां अपने निर्धारित समय से प्रस्थान करती है , पूर्वा एक्सप्रेस दुर्घटना के वजह से विलंब से चल रही शिवगंगा एक्सप्रेस को हमने इलाहाबाद पर पीछे छोड़ा , नवनिर्मित प्लेटफॉर्म काफी पहले होने के वज़ह से ट्रेन निकलने के बाद इलाहाबाद स्टेशन छोड़ने में काफ़ी वक़्त लगा , करीब 10-15 की रफ़्तार पर ट्रेन रेंगते हुए 4-6मिनट में आगे बढ़ पाई , आगे का रेल रूट अभी तक के रेल रूट के विपरित था , यहां की अधिकतम रफ्तार 100किलोमीटर घंटे तय की गई थी , ट्रेन का दबाव भी कॉफी कम था , यह रेल रूट का हाल ही में विद्युतीकरण एवं दोहरीकरण किया गया है , खैर अब 12:20 के लगभग हो रहे थे और ट्रैन अब इलाहाबाद के निकट गंगा पुल को 50 की रफ़्तार से पार कर रही थी , मैं वापिस अपनी सीट पर आ चुका था , ट्रेन अब काफ़ी खाली हो चुकी थी , यहां यात्री दोपहर के भोजन का इंतज़ार कर रहे थे किंतु कैटरिंग स्टाफ़ बेफ़िक्री से इधर उधर घूम रहे थे , मुझे भी अंदाजा हो गया था कि ये लोग अलग ही फुरसत में है ,,खैर मैं इस रूट पर पहले बार सफ़र कर रहा था तो खिड़की से बाहर के नज़ारे लेने में व्यस्त हो गया , यह रूट काफ़ी नीरस नज़र आ रहा था , हालांकि हमनें करीब 12:40 पर आनंदविहार बलिया भृगु एक्सप्रेस को किसी स्टेशन पे पीछे छोड़ एवं उसके बाद किसी पैसेंजर ट्रेन को भी पिछड़ा , अब करीब 12:50 हो चुके थे , अभी भी कैटरिंग स्टाफ का भोजन वितरण की तरफ ध्यान नही था , खैर करीब 1 बजे हमारे डब्बे में भोजन वितरण शुरू हुआ , कतार में सबसे पीछे की सीट होने के कारण खाने का पैकेट हम तक पहुँचने में वक़्त करीब 1:10 हो गया था , पहले दही का एक छोटा पैक दिया गया , उसके बाद खाने का पैकेट दिया गया , पैकेट में दाल , पनीर , सब्ज़ी , चावल , पराठा , अचार , रसगुल्ला , नमक / काली मिर्च का छोटा पैक दिया गया था , खाने के स्वाद में तो कोई शिकायत नही थी , खाना रेलवे के मापदंडों के हिसाब से काफी स्वादिष्ट था , किँतु खाने की मात्रा बेहद नगण थी , पैकेट में केवल एक छोटा पराठा दो टुकड़े कर के दिया गया था, सब्ज़ी की मात्रा अचार जितनी रखी गई थी , चावल उस छोटे पैक में भी आधा ही था , एक तरह से यह खाना एक रस्म अदायगी ही लगी , जिसमे एक तरह से इसको खा कर केवल स्वाद चख सकते थे , जिस हिसाब से भारतीय रेलवे ने इस थाली की क़ीमत लगभग 200₹ तय की है किराये में वो कही से भी ठीक नही बैठती ,सुबह की चाय और नाश्ते के बाद खाने में भी निराशा हाथ लगी , ख़ैर अब करीब 1:30 हो चुके थे ट्रेन लगभग बनारस शहर दाख़िल हो चुकी थी , ट्रेन अपने निर्धारित समय से करीब 10 मिनट पहले दौड़ रही थी , धीरे रफतार में हमनें डीज़ल लोकोमोटिव कारख़ाना और उसका रेलवे स्टेशन पार किया , ट्रेन अब मंडुवाडीह आ चुकी थी यहां ट्रेन दिल्ली से यात्रा आरम्भ के बाद पहली बार तय स्टेशन के इलावा रुकी , करीब 2 मिनट रोके जाने के बाद ट्रेन दुबारा आगे बढ़ी , अब करीब 1:45 हो चुके थे , ट्रेन बनारस आउटर लग रही थी , अब सभी यात्री आपका समान व्यवस्थित करने में लगे थे , बनारस आउटर पर ट्रेन को दुबारा रोक दिया गया , उत्तर रेलवे में आते ही 3किलोमीटर रूट पर हमें दो बार रोक जा चुका था , यहाँ ट्रेन करीब 5 मिनट रुकी , करीब 1:56 पर ट्रेन ने रेंगना शुरू किया , करीब ठीक 2 बजे हम बनारस स्टेशन पहुँच चुके थे , यात्री कतार से उतने लगे , यहाँ एक अलग ही लड़ाई लगी हुई थी कचरा बिनने वालो में , वो इस गाड़ी का कचरा जो की बड़ी पन्नियों में भरा हुआ था उसको उतारने के लिए पागल हुए जा रहे थे , तथा यात्रियों से धक्का-मुक्की भी कर रहे थे ,खैर मैं फिर करीब ट्रेन से नीचे उतरा और कुछ तस्वीरें ले कर ट्रेन को अलविदा कर के अगली ट्रेन श्रमजीवी की ओर बढ़ गया जो कि सुल्तानपुर के लिए थी , यात्रा विवरण पढ़ने के लिए धन्यवाद
Pic 1 . Kanpur Platform
Pic 2 Kanpur Platform
Pic 3 Allahabad Platform
Pic 4 Allahabad Platform
Pic 5 Lunch in T18