कुछ ख़ास नहीं हैं ऐसा लगता हैं की रेलवे अब सिर्फ पैसा कमाने में लगा हैं और रेलवे का मुख्य उद्देश्य अमीरों और ऊँचे तबके को आरामदेह सुविधा मुहैया कराना रह गया हैं। कई सारे कारण हैं-
1. wifi सुविधा प्रादान करने पे जोर
2. प्रीमियम ट्रेन और प्रीमियम तत्काल कोटा
3. सुविधा एक्सप्रेस चलना
रेलवे...
more... अब सिर्फ बड़े स्टेशन बड़े प्रोजेक्ट हाई प्रोफाइल ट्रेन पर ही ध्यान देता हैं। सही मायनो में रेलवे अब अपने असल सेवा जिसके लिए वो जाना जाना चाहिए उससे हट गया हैं। रेलवे के पास छोटे स्टेशन छोटे प्रोजेक्ट के लिए पैसे नहीं हैं कमजोर और गरीब तब्को के लिए कोई स्कीम कोई पूछ नहीं हैं ज्यादातर एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेन आज भी बदस्तूर लेट चल रही हैं पैसों के आभाव में छोटे छोटे और कई बड़े प्रोजेकट जो बहुत उपयोगी हैं पर कम रेवेन्यु वाले हैं रुके हुए हैं और कई प्रोजेक्ट बस पूर्ण होने के कगार पे हैं जो अपने डेडलाइन से 5-7साल पीछे हैं और थोड़े पैसों से पूर्ण होकर उपयोगी होंगे अटके हुए हैं रेलवे के उदाशीनता के कारण। ट्रेनों के लेट होना (बेमतलब की देरी फ़ालतू के स्टॉप स्लो स्पीड खस्ताहाल ट्रैक्स)। लोग मज़बूर हैं यही उनके अभिमान का कारन हैं।
मैं स्वच्छ रेल , irctc में टिकटिंग के लिए हुए बदलाव और रेल एवं महिला सुरक्षा के लिए उठाये जा रहे कदमो के पक्ष में हूँ और समर्थन करता हूँ और साथ ही इन क्षेत्रों में किये जा रहे प्रयास से संतुस्ट हूँ।