छत्तीसगढ़ वर्ष 2000 में बना और उसके बाद से अब तक 22 साल में केवल 105 किमी ही नई रेललाइन ही बिछाई जा रही है। जिस वक्त छत्तीसगढ़ राज्य बना, यहां 1186 किमी की रेललाइनें थीं। ये 22 साल में बढ़कर 1291 किमी हुई हैं। औसत निकाला जाए तो प्रदेश में एक साल में औसतन 4.72 किमी पटरियां बिछाई जा सकी हैं। इसके मुकाबले रेलवे ने पड़ोसी राज्यों में रफ्तार से काम किया है। पड़ोसी राज्य तेलंगाना 2008 में बना, लेकिन यहां 202 किमी नई रेललाइनें बिछ गई हैं। छत्तीसगढ़ के साथ बने पड़ोसी राज्य झारखंड में 425 किमी से ज्यादा नया रेलवे ट्रैक बिछा दिया गया है, वह भी केवल 2014 से 2022 के बीच।
प्रदेश में 22 साल में जो...
more... प्रमुख रेल लाइनें पूरी हुई हैं, उनमें खरसिया से कोरिछापर 44 किमी, केवटी से अंतागढ़ करीब 17 किमी और गुदुम से भानुप्रतापपुर 17 किमी प्रमुख हैं। इस दौरान छत्तीसगढ़ में 428 किमी रेलवे ट्रैक को डबल और ट्रिपल करने का काम हुआ है। प्रदेश में 1246.55 किमी नई रेललाइन का नेटवर्क तैयार करने के लिए 6 बड़ी परियोजनाएं चल रही हैं। इनकी कुल लागत 25 हजार 792 करोड़ रुपए से भी अधिक है। लेकिन इसी में पिछले दो दशक में काम की धीमी रफ्तार की वजह से बड़ी योजनाओं के भविष्य पर सवाल उठने लगे हैं।
पड़ोसी राज्यों में रेललाइन बिछाने की रफ्तार
राज्य - नई लाइन - डबलिंग, ट्रिपलिंग
1. छत्तीसगढ़ - 105 किमी - 428 किमी
2. मध्यप्रदेश - 147 किमी - 363 किमी
3. महाराष्ट्र - 86 किमी - 535 किमी
4. आंध्रप्रदेश - 305 किमी - 437 किमी
5. तेलंगाना - 202 किमी - 146 किमी
6. उत्तर प्रदेश - 460 किमी - 672 किमी
7. ओडिशा - 293 किमी - 841 किमी
8. झारखंड - 425 किमी - 374 किमी
(केंद्रीय रेल मंत्रालय की ओर से वर्ष 2009 से 2021 के बीच जारी आंकड़ों के अनुसार)
प्रदेश में नई रेल लाइन बिछाने के ये प्रोजेक्ट
ईस्ट रेल कॉरिडोर फेस 1 - 3055.15 करोड़ रुपए लाइन : खरसिया-घरघोड़ा-डोंगा महुआ तक 131 किमी
ईस्ट रेल कॉरिडोर फेस 2 - 1686 करोड़ रुपए लाइन : धर्मजयगढ़ से कोरबा के बीच 62.5 किमी
ईस्ट वेस्ट रेल कॉरिडोर - 4970 करोड़ रुपए लाइन : गेवरा से पेंड्रा-उरगा-कुसमुंडा तक 138 किमी
राजहरा -रावघाट रेल परियोजना - 1622 करोड़, 95 किमी
रावघाट-जगदलपुर परियोजना - 2563 करोड़, 140 किमी
चिरमिरी-नागपुर हाल्ट रेल लिंक - 241 करोड़, 17 किमी
डोंगरगढ़--कवर्धा-मुंगेली-कटघोरा - 5950 करोड़, 295 किमी
खरसिया-ब. बाजार-नवा रायपुर-दुर्ग - 5705 करोड़, 268 किमी
अंबिकापुर-बरवाडीह रेललाइन - 182 किमी (सर्वे स्तर पर)
कटघोरा- सूरजपुर (परसा से मतीन) - (65 किमी, सर्वे स्तर पर)
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नवा रायपुर रेललाइन 4 साल में भी अधूरी
नवा रायपुर में जिन जगहों पर रेललाइन बिछाने का काम चल रहा है, वहां लाइनें कम और नहरों जैसी संरचना ज्यादा है। पुराने और नए शहर को जोड़ने के लिए 20 किमी लंबी मंदिर हसौद से केंद्री तक की नई रेल लाइन का काम 2018 में शुरु हुआ था, जो अब तक पूरा नहीं हो पाया है। निर्माण के वक्त ये पूरा प्रोजेक्ट 160 करोड़ का था। बाद में इसकी लागत घटाकर 80 करोड़ रुपए की गई, क्योंकि 5 स्टेशन नया रायपुर विकास प्राधिकरण बनवाएगा। इस लाइन का काम कोरोना और लोहे की कमी से पिछड़ा है
अभनपुर-राजिम ट्रैक का अपग्रेडेशन धीमा
केंद्री से अभनपुर होकर राजिम तक 67 किमी लंबे ट्रैक को ब्रॉडगेज में बदलने का काम सुस्त गति से चल रहा है। 2019 में इस योजना के लिए 544 करोड़ मंजूर हुए थे। केंद्री मुक्तांगन के बीच पटरियां उखाड़ने का काम देरी से शुरू हुआ। जमीन अधिग्रहण का पेंच भी इस प्रोजेक्ट में फंसा। 2022 तक इसको पूरा करने का टारगेट था लेकिन यह संभव नहीं दिख रहा। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ यात्रा के दौरान 1920 में इसी रूट से महात्मा गांधी ने भी यात्रा की थी। तब ये छोटी रेल लाइन हुआ करता था।
यही प्रोजेक्ट जो हुए पूरे
44 किमी खरसिया से कोरिछापर
17 किमी केवटी से अंतागढ़
17 किमी गुदुम से भानुप्रतापपुर
एक्सपर्ट व्यू : अरुणेंद्र कुमार,पूर्व चेयरमेन, रेलवे बोर्ड
धीमी रफ्तार के पीछे कई फैक्टर
पिछले 22 साल में 105 किमी रेलवे ट्रैक बनना धीमी रफ्तार को बताता है। हालांकि केवल नई लाइन ही नहीं, हमें यह भी देखना चाहिए कि कितने ट्रैक की डबलिंग या ट्रिपलिंग हुई है, कितनी नई गाड़ियां बढ़ी है, मालगाड़ियों के जरिए कितने माल की ढुलाई हुई, कितने यात्रियों का आवागमन बढ़ा। लाइन बिछाने की रफ्तार धीमी होने के पीछे जमीन अधिग्रहण का समय पर नहीं होना भी बड़ी वजह है।
रेललाइन निर्माण से जुड़ी भौगोलिक परिस्थितियों को समग्र रूप से देखने की जरूरत है। नई लाइन, दोहरी करण, तीसरी लाइन, चौथी लाइन, गेज कन्वर्जन, इलेक्ट्रिफिकेशन से यात्री सुविधाओं का विकास होगा। - साकेत रंजन, सीपीआरओ-एसईसीआर
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